दोस्त को देखते ही मुझे भीतर ही भीतर एक खुसी मिलती है.वह हस्ता है तो भी और गुस्सा है तो भी .उसकी एक झलक पाने के लिए में दूर से आता हूँ. यदि वह नहीं मिलता तो दुखी नहीं होता बल्कि एक हिम्मत पैदा होती है दुसरे दिन मिलने की
.मेरा दोस्त की सोच अकल्प्निये है वह क्या करता है मेरे समझ के परे है लेकिन वह मुझे क्या कहता है मेरे समझ में आसानी से आजाता है और क्या कहूं दोस्त के बारे में एक लाइन है " हरी अनंत ,अनंत कथ्यआये ."
यदि आपको मेरी बाते समझ में आये तो पलिस कमेंट्स करे ..
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