Saturday, December 25, 2010

NINDA RAS

निंदा रस क्या है ?
   निंदा रस दुसरो की बुर्रई करना और उस बुराई पर अपना स्वार्थ  सिद्ध करना. अनेक  अनेक प्रकर्ति के लोग आने हिसाब से निंदा रस का पान करते  है. कुछ लोग अपना समय पास करते है.कुछ लोग रस लेके अपने आप को सामनेवाले से अपने को बेहतर समझते है और खुद को बेहतर  मानते है निंदा उन्ही की जाती जो उनके लायक हो सज्जनों की निंदा होती नहीं .और शायद निंदा से हमारी शिकायत दूर हो जाये यह एक अच्छा  अभिप्राय भी हो सकता है
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 निंदा रस एक हद तक ठीक है जब तक मजाक  है और सहा जा सकता  है.लेकिन जब बात आगे बढ़ जाती है तब यह  रिस्तो में दर्रार पैदा कर सकती है.निंदा रस करने पर दुसरो को निचा नहीं समझना चहिये और न ही खुद को बड़ा येही एक सन्देश है मेरा आपके के लिए." निंदक  न्यारे राख्बिये .आगन कुटी च्चाब्बाये .बिन पानी बिन साबुन निर्मल करे सुहाए ".

        फिर भी उम खली समय वालो के लिए निंदा रस बहुत ही अच्छी  चीज़ है.
 

Sunday, December 19, 2010

दोस्ती, एक सलोना और सुहाना अहसास

दोस्ती, एक सलोना और सुहाना अहसास है, जो संसार के हर रिश्ते से अलग है। तमाम मौजूदा रिश्तों के जंजाल में यह मीठा रिश्ता एक ऐसा सत्य है जिसकी व्याख्या होना अभी भी बाकी है। व्याख्या का आकार बड़ा होता है। लेकिन गहराई के मामले में वह अनुभूति की बराबरी नहीं कर सकती। इसीलिए दोस्ती की कोई एक परिभाषा आजतक नहीं बन सकी।


दोस्ती, शुद्ध और पवित्र मन का मिलन होती है। एक बेहद उत्कृष्ट अनुभूति, जिसे पाते ही तनाव और चिंता के सारे तटबंध टूट जाते हैं।। उलझनों की जंजीरें खुल जाती है। दोस्ती एक ऐसा आकाश है जिसमें प्यार का चाँद मुस्कुराता है, रिश्तों की गर्माहट का सूर्य जगमगाता है और खुशियों के नटखट सितारे झिलमिलाते हैं। एक बेशकीमती पुस्तक है दोस्ती, जिसमें अंकित हर अक्षर, हीरे, मोती, नीलम, पन्ना, माणिक और पुखराज की तरह है, बहुमूल्य और तकदीर बदलने वाले।
एक सुकोमल और गुलाबी रिश्ता है दोस्ती, छुई-मुई की नर्म पत्तियों-सा। अँगुली उठाने पर यह रिश्ता कुम्हला जाता है। इसलिए दोस्त बनाने से पहले अपने अन्तर्मन की चेतना पर विश्वास करना जरूरी है।